सिंधु घाटी सभ्यता: इतिहास का एक समृद्ध प्राचीन नगर

भारत का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली रहा है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata) का विशेष स्थान है। यह सभ्यता लगभग 4600 साल पहले अस्तित्व में आई थी और आधुनिक नगर योजना, स्वच्छता, व्यापार और संस्कृति में इसकी उन्नति आज भी शोधकर्ताओं को चकित कर देती है। इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, क्योंकि इसके अवशेष सबसे पहले हड़प्पा नामक स्थान से मिले थे।


स्थान और समयकाल

सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार आज के पाकिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत और कुछ क्षेत्रों में अफगानिस्तान तक था। इसका मुख्य केंद्र सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित था। यह सभ्यता मुख्यतः 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली थी। यह कांस्य युग (Bronze Age) की एक महत्वपूर्ण नगरी थी।

सिंधु घाटी सभ्यता

प्रमुख नगर

इस सभ्यता के कई नगरों की खुदाई हुई है, जिनमें से प्रमुख हैं:

  • हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान)
  • मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान)
  • धोलावीरा (गुजरात, भारत)
  • लोथल (गुजरात)
  • कालीबंगन (राजस्थान)
  • राखीगढ़ी (हरियाणा)

इन सभी स्थलों में नगर योजना, जल निकासी, वास्तुकला और सामाजिक जीवन के अद्भुत प्रमाण मिले हैं।


नगर योजना और वास्तुकला

सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशेष बात इसकी उन्नत नगर योजना थी। यहाँ के नगर ग्रिड प्रणाली पर बनाए गए थे, यानी सड़कों को सीधी रेखाओं में एक-दूसरे को समकोण पर काटते हुए बनाया गया था। मकान आमतौर पर पकी हुई ईंटों से बने होते थे, जिनमें कमरे, आँगन, स्नानघर और कभी-कभी दोमंजिला संरचनाएं भी होती थीं।
मोहनजोदड़ो में खुदाई के दौरान “महान स्नानागार” (Great Bath) का पता चला, जो संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रयोग किया जाता था। लगभग हर घर में कुंआ, स्नानघर और शौचालय जैसी सुविधाएँ थीं, और नालियों के माध्यम से गंदा पानी बाहर निकलता था।


आर्थिक जीवन

  • सिंधु घाटी के लोग व्यापार, कृषि, पशुपालन, कारीगरी आदि में निपुण थे। वे कपास, गेहूं, जौ, और चना जैसे फसलों की खेती करते थे। पशुओं में गाय, बैल, भेड़, बकरी और हाथी का पालन होता था।
  • व्यापार में वे बहुत आगे थे। उन्हें मेसोपोटामिया (आज का इराक) जैसे देशों से व्यापार के प्रमाण मिले हैं। व्यापार में धातुओं, मोतियों, कपड़ों और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता था।
  • लोथल नगर में डॉकयार्ड (जहाँ नावें लगती थीं) उस के प्रमाण मिले हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि समुद्री व्यापार भी होता था।

धर्म और विश्वास प्रणाली

सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन का भी महत्त्व था, लेकिन इसमें मंदिरों या मूर्तियों की अधिकता नहीं मिलती। कुछ प्रमुख धार्मिक प्रतीकों में शामिल हैं:

  • पशुपति मुहर – जिसमें एक योगमुद्रा में बैठे व्यक्ति के चारों ओर जानवरों की आकृति है। इसे भगवान शिव का प्रारंभिक रूप माना जाता है।
  • नृत्य करती लड़की – कांस्य से बनी यह मूर्ति कला और संस्कृति की उन्नति का प्रतीक है।
  • लिंग और योनि की आकृतियाँ – जिससे प्रजनन पूजा का संकेत मिलता है।
  • पेड़, जानवर और जल स्रोतों की पूजा – प्रकृति के प्रति श्रद्धा दिखाई देती है।


लिपि और लेखन प्रणाली

सिंधु घाटी सभ्यता की अपनी लिपि थी, जिसे आज तक पूरी तरह पढ़ा नहीं गया है। यह लिपि सीलों, बर्तनों और धातु की वस्तुओं पर खुदी हुई मिली थी। इसमें छोटी-छोटी चित्रात्मक आकृतियाँ होती थीं, जिसे चित्रलिपि (pictographic script) कहा जाता है। इस लिपि को दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी लिपियों में गिना जाता है।


मुद्राएँ और कला

सिंधु घाटी की मिट्टी, पत्थर और धातु से बनी वस्तुएँ उनकी उत्कृष्ट कारीगरी को दर्शाती हैं। मुद्राएँ (Seals) व्यापारिक लेनदेन और पहचान के लिए उपयोग होती थीं। इन पर जानवरों, जैसे एक सींग वाला बैल, हाथी, गैंडा आदि की आकृतियाँ बनी होती थीं।

मिट्टी के खिलौने, कांच की चूड़ियाँ, मनोहर बर्तन, और आभूषण – सब उनकी समृद्ध संस्कृति और शौक़ को दर्शाते हैं।


सामाजिक जीवन

सिंधु घाटी के लोग संगठित और शांतिपूर्ण जीवन जीते थे। कोई ऐसा प्रमाण नहीं है जिससे बड़े युद्ध या राजनीतिक संघर्ष का संकेत मिले। समाज में समानता का भाव था और अमीरी-गरीबी का बहुत अधिक अंतर नहीं था।


पतन के कारण

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन अभी भी रहस्य बना हुआ है, परंतु इतिहासकारों ने कुछ संभावित कारण बताए हैं:

जलवायु परिवर्तन – सूखा पड़ना या नदियों का मार्ग बदलना भूकंप या बाढ़

आर्यों का आगमन – कुछ विद्वानों का मानना है कि आर्य जातियों ने आकर इसे नष्ट कर दिया

आंतरिक सामाजिक या प्रशासनिक विघटन

संभवतः इन सभी कारणों का सम्मिलित प्रभाव पड़ा और यह महान सभ्यता धीरे-धीरे विलुप्त हो गई।


Unesco World Heritage Site:👇

Archaeological Ruins at Moenjodaro,

https://whc.unesco.org/en/list/138/


निष्कर्ष

सिंधु घाटी सभ्यता न केवल भारत की बल्कि विश्व की सबसे प्राचीन और विकसित सभ्यताओं में से एक थी। इसकी उपलब्धियाँ आज भी आधुनिक जीवन के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। साफ-सफाई, नियोजित नगर, जल व्यवस्था, व्यापारिक समझदारी और सांस्कृतिक समृद्धि इस सभ्यता की पहचान हैं। यह सभ्यता न केवल हमारे अतीत की गौरवशाली कहानी कहती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि भारत की जड़ें कितनी गहरी और वैज्ञानिक रही हैं।

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