Kailash Temple Ellora: भारतीय वास्तुकला का अद्भुत दृश्य

भारत अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपरा और वास्तुकला के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक अद्भुत कला के रूप में महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित कैलास मंदिर को जाना जाता है। यह मंदिर भारतीय शिल्पकला का अद्वितीय उदाहरण है, जिसे देखने के बाद लोग इसकी भव्यता और निर्माण तकनीक से अभिभूत हो जाते हैं। यह मंदिर Kailash Temple Ellora भगवान शिव को समर्पित है और इसे चट्टानों को काटकर बनाए गए सबसे भव्य मंदिरों में से एक माना जाता है।


केलास मंदिर का इतिहास

कैलास मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के महान शासक कृष्ण प्रथम ने (757-783 ईस्वी) में करवाया था। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) में शामिल है।  https://whc.unesco.org/en/list/243/इस मंदिर का निर्माण करने का उद्देश्य कैलाश पर्वत की भव्यता और दिव्यता को दर्शाना था, जो हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का निवास स्थान है। इसे ‘कैलाश मंदिर’ भी कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर हिमालय के कैलाश पर्वत की आकृति को दर्शाने के लिए बनाया गया है।
कहा जाता है कि इस मंदिर को बनवाने में लगभग 18 वर्षों का समय लगा और इसे पत्थर को काटकर ऊपर से नीचे की ओर तराशकर बनाया गया, Kailash Temple Ellora जो कि एक असाधारण इंजीनियरिंग चमत्कार है।

Kailash Temple Ellora

स्थापत्य और वास्तुकला

कैलास मंदिर पूरी तरह से एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है, जिसे “रॉक-कट आर्किटेक्चर” का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। इस मंदिर को ऊपर से नीचे की ओर काटकर बनाया गया है, ताकि निर्माण के दौरान कोई गलती न हो और संपूर्ण मंदिर एक सजीव रूप ले सके।

      1. मुख्य संरचना:
  • इस मंदिर की ऊँचाई लगभग 32 मीटर (100 फीट) है और यह लगभग 276 x 154 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • मंदिर के सामने एक विशाल प्रांगण है, जिसे चारों ओर से दीवारों और स्तंभों से घेरा गया है।
  • इसमें कई मंडप (हॉल), प्रवेश द्वार, स्तंभों से सजी गैलरियां और विशाल शिल्प आकृतियाँ शामिल हैं।
      2.  स्तंभ और मूर्तियाँ:
  • मंदिर के अंदर और बाहर की दीवारों पर अनेक देवी-देवताओं, ऋषियों और पौराणिक चरित्रों की सुंदर नक्काशी की गई है।
  • इसमें रामायण और महाभारत के दृश्यों को पत्थरों पर उकेरा गया है।
  • मंदिर के स्तंभ अत्यंत बारीकी से तराशे गए हैं, जो उस समय की शिल्पकला की उच्च कोटि को दर्शाते हैं।
      3.  नंदी मंडप:
  • मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने एक विशाल नंदी मंडप (भगवान शिव के वाहन नंदी का मंडप) स्थित है।
  • यह नंदी मंडप दो विशाल खंभों पर टिका हुआ है, जो इसकी भव्यता को और अधिक बढ़ाता है।
      4.  गर्भगृह:
  • मंदिर का मुख्य भाग, जिसे गर्भगृह कहा जाता है, इसमें भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है।
  • इसके चारों ओर अन्य छोटे मंदिर और मूर्तियाँ भी बनाई गई हैं।


निर्माण तकनीक और वैज्ञानिक चमत्कार

कैलासा मंदिर की सबसे अद्भुत बात यह है कि इसे ऊपर से नीचे की ओर एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि लगभग 4,00,000 टन चट्टान को हटाकर इसे तराशा गया था। इस मंदिर की निर्माण प्रक्रिया को समझना आज के आधुनिक इंजीनियरों के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण विषय बना हुआ है।

      1. रॉक-कट तकनीक:
  • पत्थर को काटने और तराशने के लिए प्राचीन समय में केवल हथौड़े, छैनी और अन्य सामान्य उपकरणों का उपयोग किया जाता था।
  • इतनी बारीकी और संतुलन के साथ इस मंदिर को तैयार करना उस युग की अभूतपूर्व तकनीकी कुशलता को दर्शाता है।
      2. ऊपर से नीचे का निर्माण:
  • सामान्य मंदिरों का निर्माण जमीन से ऊपर की ओर किया जाता है, लेकिन कैलासा मंदिर इसके ठीक विपरीत तकनीक से बना है।
  • यह इस बात को प्रमाणित करता है कि राष्ट्रकूट शासकों के समय शिल्पकारों और इंजीनियरों का ज्ञान बहुत ही उन्नत था।
      3. स्थायित्व और मजबूती:
  • यह मंदिर आज भी मजबूती से खड़ा है, जबकि इसे बने हुए 1200 से अधिक वर्ष हो चुके हैं।
  • इस मंदिर की संरचना में इतनी मजबूती है कि यह आज भी किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा को सहन करने में सक्षम है।


धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

      1. भगवान शिव का निवास:
  • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे कैलाश पर्वत का प्रतिरूप माना जाता है।
  • इस कारण यह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थानों में से एक है।
      2. तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण:
  • हर साल हजारों भक्त और पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं।
  • महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
      3. योग और ध्यान का केंद्र:
  • मंदिर की शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  • प्राचीन काल में कई ऋषि-मुनियों ने यहां तपस्या की थी।


कैलास मंदिर का आधुनिक महत्व

      1. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची:
  • एलोरा की गुफाओं, जिसमें कैलास मंदिर भी शामिल है, इनको 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
      2. पर्यटन का प्रमुख केंद्र:
  • भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व से लोग इस अद्भुत मंदिर को देखने आते हैं।
  • इतिहासकार, वास्तुशास्त्री, पुरातत्वविद् और शोधकर्ता इस मंदिर की विशेषताओं का अध्ययन करते हैं।
      3.भारतीय संस्कृति का प्रतीक:
  • यह मंदिर भारतीय संस्कृति, धर्म और वास्तुकला की समृद्धि को प्रदर्शित करता है।
  • यह भारतीय गौरव और शिल्पकला की उत्कृष्टता का प्रमाण है।

निष्कर्ष

कैलास मंदिर केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास और वास्तुकला का एक अनमोल रत्न है। इसकी अनूठी निर्माण शैली, अद्भुत नक्काशी और धार्मिक महत्व इसे विश्वभर में प्रसिद्ध बनाते हैं। यह मंदिर न केवल हिंदू आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारत की प्राचीन वास्तुकला और तकनीकी कौशल का भी जीवंत उदाहरण है।
अगर आप कभी महाराष्ट्र जाएं, तो एलोरा के कैलास मंदिर के दर्शन अवश्य करें, क्योंकि यह एक ऐसा स्थान है, जो इतिहास, कला और आध्यात्मिकता का संगम है।

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