Rainforest of Meghalaya: मॉनसून, जंगल और जनजातीय जीवन की कहानी

Rainforest of Meghalaya: भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय (Meghalaya) जिसका अर्थ है “बादलों का घर”, विश्व के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में से एक है। यह राज्य अपनी प्राचीन संस्कृति, लुभावने पहाड़ी दृश्य, और सबसे विशेष रूप से घने वर्षा वनों के लिए जाना जाता है। मेघालय के वर्षा वन केवल हरियाली नहीं हैं, बल्कि वे पर्यावरणीय संतुलन, जनजातीय जीवन, और बेजोड़ जैव विविधता के संरक्षक भी हैं।


वर्षा का जादू: मॉनसून की भूमि

मेघालय का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है और यहाँ की जलवायु नम उष्णकटिबंधीय (Humid Subtropical) है।

यहाँ दो प्रमुख स्थान 

  • चेरापूंजी (Cherrapunji)
  • मॉसिनराम (Mawsynram)

दुनिया के सबसे अधिक वर्षा वाले स्थानों में गिने जाते हैं।
यह भारी वर्षा वनों के पोषण और विस्तार का मुख्य कारण है।

औसत वार्षिक वर्षा:

  • चेरापूंजी – लगभग 11,777 मिमी
  • मॉसिनराम – 11,871 मिमी (विश्व रिकॉर्ड के करीब)

वर्षा के चलते इन वनों में धुंध, नमी और सदाबहार हरियाली हमेशा बनी रहती है।

Rainforest of Meghalaya
Image Credit: Pixabay

जैव विविधता की अद्भुत दुनिया

मेघालय के वर्षा वन जैव विविधता के अद्भुत उदाहरण हैं। यहाँ पाए जाते हैं:

वनस्पति:

  • रबर के पेड़
  • बाँस की कई किस्में
  • जड़ी-बूटियाँ (औषधीय उपयोग में)
  • काई, फर्न और ऑर्किड की सैकड़ों प्रजातियाँ
  • नेपेंथेस (कीटभक्षी पौधे)

जीव-जंतु:

  • हूलॉक गिब्बन – भारत का एकमात्र वानर प्रजाति
  • क्लाउडेड लेपर्ड – विलुप्तप्राय प्रजाति
  • भारतीय हॉर्नबिल – स्थानीय प्रतीक पक्षी
  • जंगली भालू, बिज्जू, उभयचर में नील मेंढक
  • हजारों कीट और तितलियाँ

इन वनों को “हॉटस्पॉट ऑफ बायोडायवर्सिटी” भी कहा जाता है।


जनजातीय जीवन और पारंपरिक ज्ञान

मेघालय की प्रमुख जनजातियाँ हैं:

  • खासी
  • गारो
  • जयंतिया

ये समुदाय वनों को माँ के रूप में पूजते हैं। उनके जीवन का हर पहलू – खाना, इलाज, घर बनाना, खेती – सब कुछ वर्षा वनों पर निर्भर है।

जीवित पुल (Living Root Bridges)

  • यह पुल रबर के पेड़ों की जड़ों को वर्षों तक मोड़कर बनाए जाते हैं।
  • बरसात में जब नदी उफान पर होती है, ये पुल सुरक्षित मार्ग बनते हैं।
  • UNESCO इन्हें विश्व धरोहर की श्रेणी में शामिल करने की दिशा में प्रयासरत है।

पारंपरिक औषधियाँ:
स्थानीय समुदायों के पास हजारों वर्षों से संचित ज्ञान है, जिससे वे पेड़-पौधों से दवाइयाँ बनाते हैं।


वर्षा वनों का पारिस्थितिकी महत्त्व

मेघालय के वर्षा वन केवल राज्य के लिए ही नहीं, पूरे पूर्वोत्तर भारत की पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।

महत्त्व:

  • कार्बन अवशोषण कर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं।
  • जल स्रोतों को संजोते और रिचार्ज करते हैं।
  • बाढ़ रोकथाम, मृदा संरक्षण, और जैविक चक्र बनाए रखने में सहायक हैं।

वर्तमान खतरे और चुनौतियाँ

इन वनों पर कई तरह के संकट मंडरा रहे हैं:

खतरे:

  • खनन गतिविधियाँ – कोयला और चूना पत्थर की खुदाई
  • झूम खेती – पारंपरिक खेती प्रणाली जो वन कटाव को बढ़ा रही
  • बढ़ता पर्यटन – अनियंत्रित विकास, कचरा और प्रदूषण
  • जलवायु परिवर्तन – वर्षा चक्र में असंतुलन और सूखे की स्थितियाँ

संरक्षण के प्रयास

राज्य सरकार और स्थानीय समुदायों द्वारा किए जा रहे कुछ महत्त्वपूर्ण प्रयास:

राज्य स्तरीय योजनाएँ:

  • कम्युनिटी फॉरेस्ट रिजर्व – जनजातीय समुदाय के प्रबंधन में वन क्षेत्र
  • मेघालय बायोडायवर्सिटी बोर्ड – जैव विविधता संरक्षण और दस्तावेजीकरण
  • ईको-टूरिज्म प्रमोशन – पर्यटन और संरक्षण का संतुलन

समुदाय आधारित प्रयास:

  • सेक्रेड ग्रोव्स (Sacred Groves) – धर्म और परंपरा से जुड़ी हरी भूमि
  • सामूहिक वनीकरण
  • स्थानीय गाइड्स द्वारा जागरूकता अभियान

पर्यटन की दृष्टि से मेघालय के वर्षा वन

मेघालय अब पर्यटकों के लिए नया प्रकृति गंतव्य बन रहा है।
नीचे हैं कुछ अद्भुत वर्षा वन स्थल।

प्रमुख स्थल:

  स्थान                    विशेषता

मॉसिनरामविश्व का सबसे वर्षा वाला स्थान
चेरापूंजीझरनों, गुफाओं और जीवित पुलों का स्थान
मावलिननोंगएशिया का सबसे स्वच्छ गाँव
नोंगखियातडबल डेकर जीवित रूट ब्रिज
शिलॉन्ग पीक फॉरेस्टशिलॉन्ग शहर के पास घना वर्षा वन क्षेत्र

निष्कर्ष

मेघालय के वर्षा वन न केवल हरियाली और सुंदरता के प्रतीक हैं, बल्कि वे संस्कृति, जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान का अनमोल खजाना भी हैं। इन वनों की रक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं हैं बल्कि हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।
यदि हम आज इन वनों को सहेजें, तो आने वाली पीढ़ियाँ भी प्रकृति की इस अनुपम धरोहर का अनुभव कर सकेंगी।


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