Top 10 Unesco Sites in India: भारत की भूमि न केवल विविधता से भरपूर है, बल्कि यह इतिहास, संस्कृति, कला और वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। भारत में 40 से अधिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं जो पूरी दुनिया में हमारे सांस्कृतिक गौरव, प्राकृतिक संपदा और ऐतिहासिक वैभव को दर्शाते हैं। इस लेख में हम आपको भारत के 10 प्रमुख यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सैर कराएंगे जो न केवल देश बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं।
1. जयपुर शहर (राजस्थान)
यूनेस्को में शामिल: (2019)
स्थापना: 1727, महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा कराया गया।
जयपुर, जिसे “गुलाबी नगरी” कहा जाता है, भारत का पहला नियोजित शहर था। इसकी सड़कों की ग्रिड प्रणाली, महलों की भव्यता और बाजारों की नियोजित व्यवस्था इसे अद्वितीय बनाती है। सिटी पैलेस, हवा महल, जंतर मंतर और आमेर किला यहाँ के प्रमुख स्थल हैं। शहर का निर्माण वास्तुशास्त्र और खगोलशास्त्र के आधार पर किया गया था।
2. खजुराहो के मंदिर (मध्य प्रदेश)
निर्माण काल: (950–1050 ई.)
यूनेस्को में शामिल: (1986)
खजुराहो के मंदिर अपनी सुंदर मूर्तिकला और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ की कलाकृतियाँ मानव जीवन के विभिन्न पक्षों — धर्म, प्रेम, नृत्य, संगीत — को दर्शाती हैं। विशेषकर इन मंदिरों की दीवारों पर अंकित श्रृंगारिक मूर्तियाँ विश्वविख्यात हैं। चंदेल वंश के शासनकाल में निर्मित ये मंदिर हिंदू और जैन धर्म के उदाहरण हैं।
3. भीमबेटका शैलाश्रय (मध्य प्रदेश)

यूनेस्को में शामिल: (2003)
विशेषता: भारत की सबसे पुरानी मानव सभ्यता का प्रमाण
भीमबेटका शैलाश्रय, मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में स्थित है,
और यह स्थल मानव इतिहास की प्राचीनतम झलक प्रदान करता है। यहाँ की गुफाओं की दीवारों पर बने चित्र लगभग 30,000 साल पुराने माने जाते हैं। ये चित्र शिकार, नृत्य, दैनिक जीवन और प्रकृति से जुड़े दृश्यों को दर्शाते हैं।
भीमबेटका न केवल भारत के प्रागैतिहासिक काल की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह साबित करता है कि भारत में मानव जीवन की शुरुआत हजारों वर्ष पहले हो चुकी थी। यह स्थल हमें आदिमानव की सोच, जीवनशैली और कला से परिचित कराता है।
4. कैलाश मंदिर, (महाराष्ट्र)

यूनेस्को में शामिल: (1983)
विशेषता: एक ही चट्टान से तराशी गई विश्व की सबसे बड़ी मोनोलिथिक संरचना।
एलोरा की गुफाओं में स्थित कैलाश मंदिर एक अविश्वसनीय स्थापत्य चमत्कार है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे ऊपर से नीचे की ओर एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसमें नक्काशी, मंडप, स्तंभ, और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ इतनी सजीव हैं कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। इसकी स्थापत्य तकनीक, बिना किसी जोड़ के विशालकाय आकार और संतुलित संरचना इसे विश्व के अन्य गुफा मंदिरों से अद्वितीय बनाती है।
यह मंदिर न केवल भारत की शिल्पकला की पराकाष्ठा को दर्शाता है, बल्कि यह मानव सामर्थ्य की एक शानदार मिसाल भी है।
5. अजंता और एलोरा की गुफाएँ (महाराष्ट्र)

यूनेस्को में शामिल: (1983)
काल खंड: 2वी शताब्दी ईसा पूर्व से 10वीं शताब्दी तक।
विशेषता: अजंता की गुफाएँ बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और कला का अद्भुत उदाहरण हैं,
जिनमें दीवारों पर बने चित्र जीवन और जन्म की कथाएँ सुनाते हैं। वहीं एलोरा की गुफाएँ हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की एकता को दर्शाती हैं। कैलाश मंदिर, एलोरा की सबसे प्रसिद्ध रचना, एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है।
6. सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (पश्चिम बंगाल)

यूनेस्को में शामिल: (1987)
विशेषता: रॉयल बंगाल टाइगर का घर।
सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है। यह भारत और बांग्लादेश में फैला है और यहाँ विश्व प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर का निवास है। यहाँ की नदियाँ, दलदल, और विविध जीव-जंतु इसे एक अनूठा प्राकृतिक स्थल बनाते हैं। यह पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
7. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम)

यूनेस्को में शामिल: (1985)
विशेषता: प्रसिद्ध जीव, एक सींग वाला गैंडा।
काजीरंगा भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान (National Park) है, जो एक सींग वाले गैंडे का विश्व का सबसे बड़ा निवास स्थान है। यह पार्क जैव विविधता में अत्यंत समृद्ध है और यहाँ बाघ, हाथी, जंगली भैंसे और कई पक्षी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। यह क्षेत्र ब्रह्मपुत्र नदी की बाढ़ों से समृद्ध होता है और वन्यजीवों के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।
8. कोणार्क का सूर्य मंदिर (ओडिशा)
यूनेस्को में शामिल: (1984)
निर्माण काल: (13वीं शताब्दी)
सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर रथ के रूप में बनाया गया है, जिसमें 24 पहिए और सात अश्व प्रतीकात्मक रूप से सूर्य के रथ को दर्शाते हैं। इसकी दीवारों पर नक्काशी, संगीत, नृत्य, युद्ध, और जीवन के अन्य पहलुओं को दर्शाती मूर्तियाँ मौजूद हैं। कोणार्क मंदिर स्थापत्य (Architecture) कला का अद्भुत उदाहरण है।
9. हम्पी (कर्नाटक)
यूनेस्को में शामिल: (1986)
विशेषता: विजयनगर साम्राज्य की राजधानी।
हम्पी एक विशाल खंडहर नगर है जो कभी भारत के सबसे समृद्ध साम्राज्य – विजयनगर का केंद्र था। यहाँ के मंदिर, स्तंभ, बाजार और विशाल पत्थरों में तराशी गई मूर्तियाँ, कला और वास्तुशिल्प का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करती हैं। विरुपाक्ष मंदिर, विजय विठ्ठल मंदिर और पत्थर का रथ हम्पी के प्रमुख आकर्षण हैं।
10. महाबलीपुरम के स्मारक (तमिलनाडु)

यूनेस्को में शामिल: (1984)
निर्माण काल: 7वीं से 8वीं शताब्दी।
पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन ने इन मंदिरों और गुफाओं का निर्माण कराया। यहाँ के समुद्र किनारे मंदिर पंच रथ, अर्जुन, की तपस्या’ और गुफा मंदिर, प्राचीन दक्षिण भारतीय वास्तुकला की सुंदर मिसाल हैं। ये स्थल पत्थर की शिल्पकला में दक्षता को दर्शाते हैं।
Unesco World Heritage Site, India:👇
https://whc.unesco.org/en/statesparties/in
निष्कर्ष
भारत के ये 10 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हमारे गौरवशाली इतिहास, सांस्कृतिक विविधता, स्थापत्य कला और प्राकृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। इन स्थलों का संरक्षण और सम्मान करना न केवल हमारी ज़िम्मेदारी है, बल्कि यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक उपहार है।
इन स्थलों की यात्रा, अध्ययन और संरक्षण के ज़रिये हम अपने अतीत को समझ सकते हैं और एक सशक्त भविष्य की नींव रख सकते है।
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