Morrya Empire: मौर्य साम्राज्य का इतिहास और चाणक्य कि कुटनिती

Morrya Empire: भारत का इतिहास अनेक महान साम्राज्यों से भरा पड़ा है, परंतु जिन साम्राज्यों ने भारतीय उपमहाद्वीप को एकता के सूत्र में पिरोया, उनमें मौर्य साम्राज्य सर्वोपरि है। यह साम्राज्य न केवल अपने सैन्य विस्तार, कुशल प्रशासन, और आर्थिक प्रगति के लिए प्रसिद्ध था, बल्कि सम्राट अशोक के समय में बौद्ध धर्म के प्रसार और अहिंसा के सिद्धांतों के लिए भी जाना जाता है।


1. मौर्य साम्राज्य की स्थापना (322 ई.पू.)

मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में की थी। इस साम्राज्य की नींव पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) में रखी गई थी। इससे पहले भारत में अनेक छोटे-छोटे राज्य थे, जो आपस में संघर्ष करते रहते थे। नंद वंश का शासक धनानंद अत्यंत क्रूर और अत्याचारी था, जिसे चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की सहायता से पराजित किया।

चाणक्य: मौर्य साम्राज्य के सूत्रधार:

चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और शिक्षक थे, जिन्होंने ‘अर्थशास्त्र’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की। उन्होंने चंद्रगुप्त को केवल राजा नहीं, बल्कि एक योग्य प्रशासक बनने के लिए प्रशिक्षित किया। चाणक्य की रणनीति, कूटनीति और दूरदर्शिता ने मौर्य साम्राज्य को संगठित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Morrya Empire
(Aacharya Chanakya-आचार्य चाणक्य)

2. चंद्रगुप्त मौर्य का शासन (322–297 ई.पू.)

चंद्रगुप्त मौर्य एक महान विजेता थे। उन्होंने पश्चिम में सिकंदर के उत्तराधिकारियों को हराकर सिंध और पंजाब पर अधिकार किया। मौर्य साम्राज्य पश्चिम में अफगानिस्तान तक फैला, जबकि पूर्व में बंगाल तक। दक्षिण भारत में भी उन्होंने नर्मदा नदी तक अपनी सीमाएं बढ़ा ली थीं।

शासन प्रणाली और प्रशासन:

चंद्रगुप्त ने एक केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली विकसित की। पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया गया और राज्य को कई प्रांतों में बाँटा गया। हर प्रांत में एक ‘कुमार’ या राजकुमार को राज्यपाल बनाया जाता था। कर संग्रह, न्याय व्यवस्था, सैन्य संचालन आदि के लिए अलग-अलग विभाग बनाए गए थे।


3. बिंदुसार का शासन (297–273 ई.पू.)

चंद्रगुप्त के पश्चात उनके पुत्र बिंदुसार मौर्य साम्राज्य के शासक बने। उन्हें (दुश्मनों का संहार करने वाला) की उपाधि मिली थी। उनके शासनकाल में साम्राज्य की सीमाएं दक्षिण भारत के मैसूर क्षेत्र तक फैल गई थीं। बिंदुसार ने यूनानी सम्राटों से भी कूटनीतिक संबंध बनाए रखे।


4. सम्राट अशोक: मौर्य साम्राज्य का चरमोत्कर्ष (273–232 ई.पू.)

बिंदुसार के बाद उनके पुत्र अशोक ने मौर्य साम्राज्य की बागडोर संभाली। आरंभ में अशोक एक कठोर शासक थे, लेकिन (261 ई.पू.) में कलिंग युद्ध ने उनकी सोच और जीवन को बदल दिया।

कलिंग युद्ध और परिवर्तन:

कलिंग पर विजय पाने के लिए अशोक ने एक भयानक युद्ध लड़ा, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों घायल हुए। युद्ध के पश्चात विनाश और रक्तपात को देखकर अशोक को आत्मग्लानि हुई। उन्होंने हिंसा का मार्ग त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया और ‘धम्म’ का प्रचार शुरू किया।

अशोक का धर्म-प्रसार:

अशोक ने न केवल भारत में बल्कि श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल, और दक्षिण-पूर्व एशिया तक बौद्ध धर्म का प्रचार करवाया। उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संगमित्रा को श्रीलंका भेजा, जहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म की नींव रखी।

अशोक के शिलालेख और स्तंभ:

अशोक ने अपने विचारों और आदेशों को आम जनता तक पहुँचाने के लिए शिलालेखों और स्तंभों का निर्माण कराया। इन शिलालेखों में प्रजा के कल्याण, नैतिकता, दया, और अहिंसा की बात की गई है। ये शिलालेख ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं और आज भी भारत के कई भागों में पाए जाते हैं।

Morrya Empire


5. मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था

मौर्य प्रशासन अत्यंत संगठित और सुव्यवस्थित था। इसके प्रमुख अंग थे:

  • राज्यपाल: प्रत्येक प्रांत का एक राज्यपाल होता था।
  • गुप्तचर व्यवस्था: एक मजबूत जासूसी नेटवर्क जो शासक को हर परिस्थिति से अवगत कराता था।
  • सेना: एक विशाल सेना जिसमें पैदल, घुड़सवार, रथ और हाथियों की टुकड़ियाँ थीं।
  • कर प्रणाली (Tax System): भूमि कर, व्यापारिक कर, और विशेष उत्पादों पर कर लगाए जाते थे।
  • नगर व्यवस्था: नगरों में सुरक्षा, सफाई, व्यापार व्यवस्था और न्याय प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाता था।

6. मौर्य साम्राज्य की अर्थव्यवस्था

मौर्य काल में भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। सिंचाई के साधन, नहरें और तालाब बनाए गए। व्यापार-व्यवस्था भी बहुत विकसित थी — भारत से मसाले, कपड़ा, और आभूषणों का निर्यात होता था। सिक्कों का प्रचलन था और व्यापारिक मार्गों पर सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी।


7. मौर्य कला और संस्कृति

मौर्य काल में स्थापत्य कला, मूर्तिकला, और साहित्य में अत्यधिक विकास हुआ:

  • अशोक स्तंभ: जैसे सारनाथ का शेर स्तंभ जो अब भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है।
  • गुफाएं: जैसे बाराबर गुफाएं, जिनका निर्माण बौद्ध भिक्षुओं के लिए किया गया था।
  • धर्मचक्र और लघु शिल्प का निर्माण भी इस काल की विशेषता थी।
Morrya Empire
Ashok Stambh

8. मौर्य साम्राज्य का पतन (187 ई.पू.)

अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा। उनके उत्तराधिकारी उतने शक्तिशाली और दूरदर्शी नहीं थे। धीरे-धीरे साम्राज्य विखंडित होने लगा। अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या 187 ईसा पूर्व में पुष्यमित्र शुंग ने कर दी और शुंग वंश की स्थापना की।


9. मौर्य साम्राज्य की विशेषताएं

  • यह पहला ऐसा साम्राज्य था जिसने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को एक प्रशासनिक इकाई में बाँधा।
  • बौद्ध धर्म का वैश्विक प्रचार-प्रसार अशोक के माध्यम से हुआ।
  • कला, स्थापत्य, प्रशासन और कूटनीति के क्षेत्र में मौर्य युग का गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।

अधिक जानकारी के लिए Wikipedia Page पर जाएं।

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Maurya_Empire


निष्कर्ष

मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय है। यह शक्ति, ज्ञान, और नैतिकता का संगम था। चंद्रगुप्त की विजयी महत्वाकांक्षा से लेकर अशोक की दयालुता तक — मौर्य युग भारत के सांस्कृतिक, धार्मिक, और राजनीतिक विकास की आधारशिला रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि मौर्य साम्राज्य ने भारत को एक ‘राष्ट्र’ के रूप में देखने की सोच दी थी।

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